पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद आईएएस अफसरों को एक और झटका लग सकता है। आईपीएस अफसर कोशिश में जुटे हैं कि प्रमुख सचिव गृह के पद पर भी आईपीएस अफसर ही तैनात किया जाए

लखनऊ......पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद आईएएस अफसरों को एक और झटका लग सकता है। आईपीएस अफसर कोशिश में जुटे हैं कि प्रमुख सचिव गृह के पद पर भी आईपीएस अफसर ही तैनात किया जाए। सूत्रों के मुताबिक डीजी कानून व्यवस्था के नाम से एक पद सृजित करके उसको ही प्रमुख सचिव गृह के अधिकार देकर किसी आईपीएस अफसर को तैनात किया जा सकता है। डीएस चौहान और आनंद कुमार को इस पद पर तैनाती की चर्चा ने आईएएस अफसरों में खलबली मचा दी है। अब देखना यह है कि क्या आईएएस लॉबी इस ख्याल को परवान चढऩे से पहले रोक पाएगी या फिर पुलिस कमिश्नर सिस्टम की तरह उसको एक बार फिर खामोश रहना पड़ेगा।
दरअसल, यूपी के दो जिलों लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर सिस्टम के लागू हो जाने को सरकार ने अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया। सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सालों से जो काम रूका हुआ था उसे सरकार की दृढ़शक्ति ने करके दिखा दिया। सरकार की इस प्रशंसा से उत्साहित आईपीएस अफसर इस अभियान को और आगे ले जाना चाहते हैं।
इसी कड़ी में वह योजना बना रहे हैं कि प्रमुख सचिव गृह का पद आईपीएस अफसरों को दिया जाए। इसके पीछे तर्क भी दिया जा रहा है कि पूर्व में भी डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह के बीच शीतयुद्ध की खबरों ने पूरे सिस्टम को परेशान किया था और इससे पुलिस अफसरों की कार्यशैली पर असर पड़ा था। दरअसल, तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार चाहते थे कि डीजीपी सुलखान सिंह उनके कक्ष में आकर किसी भी कार्रवाई का अनुमोदन लें मगर ईमानदार और कडक़ डीजीपी सुलखान सिंह इसके लिए राजी नहीं हुए। यह विवाद लंबे समय तक चला।
सूत्रों के मुताबिक डीजीपी ओपी सिंह ने सीएम को सुझाव दिया है कि पुलिस सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए डीजी कानून व्यवस्था का नया पद सृजित करके प्रमुख सचिव गृह के कार्य उसको दे दिए जाएं जिससे आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच चल रहा विवाद भी समाप्त हो जाए और बेहतर पुलिसिंग भी हो सके। यूपी सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र से वापस आए डीएस चौहान और आनंद कुमार के नाम इस पद के लिए सबसे आगे हैं। यह पद डीजीपी के जितना ही प्रभावशाली होगा। ऐसी स्थिति में हितेश अवस्थी को डीजीपी बनाया जा सकता है।
आईएएस अफसरों की बेचैनी इस प्रस्ताव की भनक से ही बढ़ गई है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने से आईएएस संवर्ग में पूर्व से ही बहुत बेचैनी है। ऐसे में अगर आईपीएस इस रणनीति में कामयाब हो गए तो उनकी खासी किरकिरी होगी। नौजवान आईएएस इस बात से भी नाराज है कि आईएएस एसोसिएशन किसी भी मामले में विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
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कई राज्यों में यह प्रयोग सफल रहा है। अगर पीएस होम के पद पर आईपीएस तैनात होगा तो बेहतर पुलिसिंग को प्रभावी ढंग से कर पाएगा क्योंकि आईएएस अफसर पुलिस को पूरी तरह समझ नहीं पाते।


सुलखान सिंह,पूर्व डीजीपी
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पीएस होम आईएएस ही रहना चाहिए क्योंकि उसे प्रशासनिक दृष्टिïकोण से समाज का ज्यादा अनुभव होता है। सचिव होम तो आईपीएस है ही ऐसे में पीएस होम के पद पर आईएएस ही होना चाहिए।
आलोक रंजन ,पूर्व मुख्य सचिव
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यह प्रयोग तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में हो चुका है और बहुत सफल रहा है। अगर प्रमुख सचिव गृह के पद पर कोई आईपीएस तैनात होता है तो इस काम का स्वागत किया जाना चाहिए।
विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी
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यह लोकतंत्र है। यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था होनी चाहिए न कि पुलिस की व्यवस्था। अगर लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदलना है तो यह प्रयोग जरूर करना चाहिए।
डॉ. सूर्य प्रताप सिंह ,पूर्व आईएएस